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Wednesday 5 March 2014

DEDICATED TO ALL GIRLS..

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DAUGHTER TO FATHER::
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मुझे इतना प्यार ना दो पापा,
कल जाने ये मुझे नसीब ना हो,
ये जो माथा चूमा करते हो,
कल इश पर शिकन अजीब ना हो,

मैं जब भी रोती हूँ पापा,
तुम आँसू पोंछा करते हो,
मुझे इतनी दूर ना छोड़ आना,
मैं रोऊँ और तुम करीब ना हो,

मेरे नाज़ उठाते हो पापा,
मुझे लाड देते हो पापा,
मेरी छोटी-छोटी ख्वाहिश पर,
तुम जान लुटाते हो पापा,

कल ऐसा ना हो एक नगरी में,
मैं तनहा तुमको याद करूँ,
और रो-रो कर फरियाद करूँ,
ऐ भगवान् मेरे पापा सा कोई,

प्यार जताने वाला हो,
मेरा नाज़ उठाने वाला हो,
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Descent Reply Of FATHER.....!!
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जो सोच रही हो तुम बेटी,
वो सब तो एक माया है,
कोई बाप अपनी बेटी को,
कब जाने से रोक पाया हैं,

सच कहते है दुनिया वाले,
बेटी तो धन पराया है,

घर-घर की यही कहानी है,
दुनियाँ की ये रीत पुरानी है,
हर बाप निभाता आया है,
तेरे बाप ने भी निभानी है.....!!
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******************राहुल श्रीवास्तव

Monday 18 March 2013

नेता




मै नेता क्यों नहीं बनता .....?
अगर मै नेता बना तो मशहूर हो जाऊँगा,
मशहूर हो जाऊँगा तो अखबारों में मेरी फोटो छपेगी,
फोटो छपेगी तो लोग पढेंगे-देखेंगे,
फिर अखबार को रद्दी में दाल देंगे,
फिर रद्दी वाला आएगा और उस अख़बार को ले जाएगा,
फिर पुराने अखबार को किसी खोमचे वाले को बेच देगा,
खोमचे वाला उस अखबार में समोसा-जलेबी बाँध के देगा,
लोग समोसा-जलेबी खायेंगे और अखबार को फेंक देंगे,
फिर कुत्ता आएगा और मेरी फोटो वाले अखबार को चाटेगा,
मै नहीं चाहता की कोई कुत्ता मेरा मुँह चाटे,
बस इस लिए मै नेता नहीं बनता .............
बस इस लिए मै नेता नहीं बनता ..............!!!!!!!!!

.............................................राहुल श्रीवास्तव 

Sunday 17 March 2013

जिन्दा हूँ .......



कोई मेरा भी तो हो साथ निभाने के लिए,


मुझे माँगे खुदा से अपना बनाने के लिए,


मेरे आँसू मेरी पलकों से चुराने के लिए,


बस वही हो मुझे सीने से लगाने के लिए,


यूँ तो है चाहने वाले बहुत से दुनिया में,


नहीं है कोई मगर साथ निभाने के लिए,


मेरे साँसों की रवानी तो फ़क्त धोखा है,


हाँ मै जिन्दा हूँ मगर .........? 


सिर्फ दुनिया को दिखने के लिए ...... 


.........................राहुल श्रीवास्तव 


Saturday 16 March 2013

इज़हार-ए-दिल ...








बहुत मुश्किल है सोचना कैसे इज़हार करूँ ,


वो तो एक खुशबू है कैसे गिरफ्तार करूँ ,

खुदा जाने मेरी किस्मत में वो है या नहीं ,

आरज़ू है आखिरी साँस तक उसका इंतजार करूँ , 

अगर वो हसीन मेहरबान हो जाए चाहत पर ,

सब भुला के मै सिर्फ उसे ही प्यार करूँ ,

हर आरज़ू पूरी नहीं होती ये मालूम है ,

मगर आरज़ू-ए-दिल से क्यूँ इंकार करूँ ,

दीदार हो काफी है मेरे मोहब्बत लिए ,

डर उनकी नाराजगी का है कैसे इकरार करूँ ,

वो चाहे न चाहे ये उसकी मर्ज़ी है ,

पर मै उसपे अपनी जान निसार करूँ ..............


.......................................राहुल श्रीवास्तव 


Friday 15 March 2013

मैं " माँ " हूँ !!



 जिस लडके को नौ महीने पेट में रखा वो ,
शादी के नौ महीने बाद .....
बहु को लेकर अलग हो गया ,मैं चुप रही 
कुछ नहीं बोली ,क्यूँ कि मैं माँ हूँ .....
उसके नौ दिन बाद फ़ोन आया , 
पुत्रवधू को अच्छी जॉब मिली है .... 
मैंने पूछा ,तुम्हारा खाना ?
उसने कहा 'टिफिन' मंगवाते हैं ....
मैं सहम गई , मैं चुप रही ....
कुछ नहीं बोली ,क्यूँ कि मैं माँ हूँ .....
नवरात्री में लडके का फ़ोन आया ,
पुत्रवधू प्रेगनेट है ,आप देखभाल करोगी ना ?
मैंने हाँ कही ....  मैं चुप रही ....
कुछ नहीं बोली ,क्यूँ कि मैं माँ हूँ .....
पुत्रवधू ने पुत्र को जन्म दिया ......
पौत्र का मुख देख कर मैं रो पड़ी ...
पुत्र ने पूछा ,माँ ये ख़ुशी के आंसू है ?

 मैं चुप रही ....
कुछ नहीं बोली ,क्यूँ कि मैं माँ हूँ .....
पुत्र ने पूछा ,माँ तुम ,तुम्हारे घर ,हमारे बेटे का 
बेबी सिटिंग करोगी ना ? मैं यह सुन कर हंसी ....

 मैं चुप रही ....
कुछ नहीं बोली ,क्यूँ कि मैं माँ हूँ .....
कुछ वर्षों के बाद , एक दिन पौत्र ने पूछा .... 
दादी जी ... दादी जी ....
आप हमलोगों से अलग क्यूँ हैं ?
यह सुन कर मैं रो पड़ी ....

लेकिन हाँ .... मैं चुप रही ....  
कुछ नहीं बोली ,क्यूँ कि मैं माँ हूँ .....





....................................... राहुल श्रीवास्तव ........


Thursday 14 March 2013

शर्त ...




मिलता है मगर बिछड़ने की शर्त पर,
जिंदा तो है मगर मरने की शर्त पर |

जिंदिगी तेरी अदा है या बेबसी मेरी,
हौसला मिलता है, मगर डरने की शर्त पर |

पल दो पल से ज़्यादा कहीं भी रुकता नहीं,
वक्त अच्छा आता है गुजरने की शर्त पर |

ये रिहाई भी क्या कोई रिहाई है सितमगर,
परिंदा आज़ाद किया पंख कतरने की शर्त पर |

फिर किस बात का भरोसा करिये ‘वीर’,
वो वादा भी करते हैं मुकरने की शर्त पर |


...................................राहुल श्रीवास्तव 



Tuesday 12 March 2013

अजनबी ...

 


एक अजनबी से मोहब्बत हो गई  है

ये ज़िन्दगी हमारी मुकम्मल हो गई है


सोचते है वो चेहरा कैसा होगा

जिस से हमें चाहत हो गई है 


जब लेती हूँ नाम ये साँसे महक उठती है

अब ये साँसे भी मेरी उसकी हो गई है


उसका यूँ रोज मेरी नींदों में चले आना

मेरे सपनो की दुनिया अब रौशन हो गई है


धड़क उठता है दिल जब महसूस करती है आँखे

ऐसा लगता है ये धड़कन भी उस के नाम हो गई है 


उसे ही सोचते सोचते गुज़रती है अब ये रातें मेरी 

मेरी रातें भी अब मेरे सनम के हवाले हो गई है


एक अजनबी से ................

............................................राहुल श्रीवास्तव